सोमवार, १३ ऑगस्ट, २०१८

कौन जानता हैं?



कैसे सुबह हुई जीवन की 
भला यहाँ कौन जानता हैं?
चलना भर हाथ में अपने
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

कैसे रहें, गुजरबसर कहाँ
जीएं कैसे, कौन जानता हैं?
चाहत भले हो तुम्हें कोनसी
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

जीवन सफर ये हमारा
न जाने यहाँ कौन जानता हैं?
चलना है हमें, रास्ते पर
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

© शिवाजी सांगळे 🎭
संपर्क:९५४५९७६५८९
http://marathikavita.co.in/hindi-kavita/t31163/new/#new

गुन्हा


४९७/१३०८२०१८

रविवार, १२ ऑगस्ट, २०१८

हायकू ३५७-३५९

#हायकू ३५९
छायाचित्र सौजन्य: श्री मनोज बिंड

#हायकू ३५८
चांदण मेळा
आसमंती हा कल्ला
काजवे गोळा १२-०८-२०१८

#हायकू ३५७
उन पाऊस
आणती मज दारी
श्रावण सरी ११-०८-२०१८

शुक्रवार, १० ऑगस्ट, २०१८

ओळख


४९६/१००८२०१८

हायकू ३५४-३५६

३५६
थेंब दवाचा
मृदेत विरघळला
सुगंधी झाला

३५५
हिरा जाहला
क्षणिक लकाकला
गळून गेला

३५४
थेंब दवाचा
किरणांत नाहला
हिरा जाहला
#शिव १०-०८-२०१८