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गुरुवार, २२ मे, २०२५

खोज २२०५२०२५ yq १५:३६:०८

खोज

कौन सा सुख है दुख में ये कौन जाने
बात सच्ची, दुख ही कहता है, गर माने

रहते है बहोत सारे सुख के बंधू,बांधव
दुख का मित्र वही है,जो दुख पहचाने

शाश्वत सत्य दुख सारे इस जीवन का
आता जाता जन्म मृत्यु संग सच माने

कैसे समझाएं किसे दुख की परिभाषा
कुद पडो खोजमें खुदके तो सुख जाने

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

सोमवार, ५ मे, २०२५

डरा सा दिल ०५०५२०२५ yq १५:२४:०५

डरा सा दिल 

आजकल डरा डरा सा दिल रहता है
किसीसे बहुत कुछ कहना चाहता है

किस कारण सुननेवाला अभी अभी
पता नहीं कैसी नाराजगी दिखाता है

एकही धागे के बंधन में हम रहते हुए
रूखा रूखासा वह बरताव करता है

सोचो,कभी उतरें हम जीद पर अपनी
ना कहना फिर, हमें भी बुरा लगता है

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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बुधवार, १६ एप्रिल, २०२५

मोहब्बत १६०४२०२५ yq १३:४७:२५


मोहब्बत
 

हम तुम्हारे हो गए हैं फिर मोहब्बत में सनम 
और यकीनन फिर आ गए शोहरत में सनम 

जानते हुए कि काबिल हैं हम एक-दूसरे को 
ला ही दिया तक़दीर ने हमें सोहबत में सनम 

होने दो कामयाब यह अजीब दास्तां ए इश्क 
बेशक हमेशा ही रखेंगे हम खैरियत में सनम 

एतबार करो हम पर, करो बेशुमार मोहब्बत
रखेंगे पलकों पे तुम्हें बड़ी हिफाजत में सनम

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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रविवार, ६ एप्रिल, २०२५

जय जय राम

जय जय राम

जय जय राम... सिया राम
जय जय राम... सिया राम...२

ऋषि मुनियोंके रक्षण कर्ता
तुम हो त्राता, भाग्य विधाता
बना दो हमारे बिगडे काम... ||१||
जय जय राम... सिया राम ...२

सुग्रीवको आपने ही बचाया
खोया उनका राज्य दिलाया
उंचा किया मित्रता का नाम... ||२||
जय जय राम... सिया राम...२

शबरी आपको, झूठे बेर चखायी
अहिल्याको आपने मुक्ति दिलाई
बढा दिया सारे भक्तों का सम्मान... ||३||
जय जय राम... सिया राम...२

न्याय का पाठ जग को सिखाया
बिभीषन को भी गलें से लगाया
सौंप दिया उनको लंका का धाम... ||४||
जय जय राम... सिया राम...२

युगपुरुष आपसा दूजा नहीं कोई
चरित्र आपका कैसे भुलेगा कोई
जीवन में रोज आता है वो काम... ||५||
जय जय राम... सिया राम...२

https://marathikavita.co.in/index.php?topic=44897.msg86405#msg86405

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शनिवार, २९ मार्च, २०२५

बिमारी २९०३२०२५ yq १५:०९:११


बिमारी
 

देश बदल रहा है, सोच बदल रही है
सरेआम, शर्म हया निलाम हो रही है

खजुराहो कि, परंपरा थी कभी यहाँ
स्टेजपर अब, कामशास्त्र बता रही है

सच झूठ क्या, कुछ पता नहीं चलता
छुपी छुपायी इज्ज़त बेची जा रही है

खुले विचारों का ऐसे पहनकर चोला
बेटीयाँ खुदकी औकात दिखा रही है

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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मंगळवार, २५ मार्च, २०२५

इस बार २४०३२०२५ yq १५:०२:३०



इस बार

इस बार इतना भी काफी है
रंग मेरा पिला हुआ तो क्या
जीनेका जज़्बा बाकी है

कैसी भी फैली हो दिवार चाहे
अभी भी पत्थरों की दरारों मे
संजीवक जीवन जो है

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सोमवार, ६ जानेवारी, २०२५

ईमान ०६०१२०२५ yq १४:२७:१५

ईमान

छत ने, पहलेही सांस लेना छोड़ दिया
ईंटें भी अब मिट्टी में तब्दील होने लगी
और हम...जुड़े रहे धरती से
जिस पर कभी जन्म लिया था...
शायद पागलपन होगा..

आसपड़ोस भले बदलता रहा
नयी नयी इमारतें बनती रहें,
हमें क्या? हम यहीं कायम है
साल लिए एक समाधान
मन में...
जीवित है ईमान कायम
मिट्टी से... जुड़े रहने का।

06-01-2025 YQ 02:27:15 PM
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गुरुवार, २ जानेवारी, २०२५

क्या करोगे

क्या करोगे

ऩजर से नज़र को चुराकर क्या करोगे
युहीं हमसे दूरीया बढाकर क्या करोगे

मिले बडी मुद्दत के बाद हम इसतरहा
चेहरा ख़ूबसुरत, छुपाकर क्या करोगे

एक एक लकीर बनी है इन हाथों पर
नाम की तुम्हारे, मिटाकर क्या करोगे

वक्त वक्त की बात, कैसे इकरार होगा
खुले हुये राज़ का इज़हार क्या करोगे

बस् छोड़ दो अब, सारी फ़िजूल बातें
बेवजह मे चुप्पी साधकर क्या करोगे

https://marathikavita.co.in/index.php?topic=49545.new#new
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गज़ल

गज़ल

हक़ीक़त तो उसको पता है हमारी
पहले से  ज़िंदगी लापता है हमारी

जो कुछ हुआ किस्मत का खेल था
फिर भी क्यों समझे ख़ता है हमारी

इश्क पर जोर चलता नहीं कहें कोई
है इश्क जोरदार ऐसी मता है हमारी

थे कहाँ माहिर हम कौनसी बातों में
ये उस्तादों से हासिल कता है हमारी

क्या लाएं साथ हुनर कुछ पता नहीं
पुर्खों से मिली, खरी 'अता है हमारी

आधी पूरी समझे या कुछ टूटी फूटी
पर दिलसे कहीं हुई ये बता है हमारी

https://marathikavita.co.in/index.php?topic=49542.new#new
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शुक्रवार, २० डिसेंबर, २०२४

ख़ूबसूरत जीवन

ख़ूबसूरत जीवन

बहुत ख़ूबसूरत है जीवन अगर सोचों तो
हर पल मिलती है एक राह नयी देखो तो

आता है वक्त अच्छा बुरा सबके जीवन में
गुजरता हैं खुशहाल सफ़र अगर चाहों तो

रोज रोज मिलता है, सुरज कि किरणों से
अवसर नया एक हमें गौर से पहचानो तो

एक एक हलचल, सिखातीं है प्रकृति की 
जीवन की नयी सही हुनर कुछ सिखो तो

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बुधवार, २७ नोव्हेंबर, २०२४

आजकल २७११२०२४ yq १०:०१:१५

आजकल 

गलत को गलत कहो
फिर चाहें जो कुछभी होना हो

अच्छा, सच्चा जो होगा
उनकी तरफदारी मे सदा रहों!

बोलबाला झूठ,फरेब का 
आज वैसेभी मुफ्त में होता है

न्याय मिलने तक "सच्चा"
प्रतीक्षा मे अकेले ही रोता है!

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सोमवार, २५ नोव्हेंबर, २०२४

मुक्त कविता २५११२०२४ yq १२:५५:१७

मुक्त कविता

मुक्त छंद कविता
मन में दबी भावूकता
पता नहीं उसे, 
कब है उसे बहना...

निकलती है, 
अनगिनत सवाल लेकर
और थम जाती है
उस मोड पर उदासी के...
अछूते किनारे पर

देखती है, दर्पण में...
अपने आप को
खुद जो मग्न है
धूंधलाहट मे...

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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मंगळवार, १२ नोव्हेंबर, २०२४

सब ठीक है

सब ठीक है

चिंता की कोई बात नहीं, सब ठीक है
ज़िन्दगी गुजर रही हैं बस् सब ठीक है

तरक्की की होड में, मगन है चंद लोग
बढती हैं मात्र बेरोजगारी, सब ठीक है

राजनीति चरम पर आजकल, देशभर
जिंदा हैं आम महंगाई मे, सब ठीक है

मश्गूल हरकोई अपने ही कुनबे में यहां
बट रहा है सिर्फ देश, और सब ठीक है

कौन देगा शिक्षा? कौन पढेगा किससे?
ग्यान दाता सोशल मीडिया,सब ठीक है

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बुधवार, २५ सप्टेंबर, २०२४

प्रित रीत २५०९२०२४ yq ०८:२९:०७

प्रित रीत

प्रित की रीति, कभी न सिखाओं किसीको 
जानता है हरकोई खुद भलिभांति उसीको 

रोग कहें कोई इसे, कोई कहें लत प्यार की
भाव सच्चा वो खुद जानें दुसरा पता रबको 

होतेही अहसास, दो दिलों को धडकनों का 
अच्छा बुरा इसका, कौन समझाएं किसको 

खेल ये कुदरत का, मानो रचा रचाया सारा 
क्यों करें दखलंदाजी क्या हक है किसीको 

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सोमवार, १६ सप्टेंबर, २०२४

भविष्य १६०९२९२४ yq १७:३४:०५

भविष्य

भविष्य का एक पन्ना
चंद लोग लिखतें है
भविष्य का अनुमान
बहोत लोग लगाते है

बहुत बातें फिर भी
अनजानी रहती है
मेहनतकश लोग तो
रोज जीवन जीते हैं

16-09-2024 YQ 05:34:05 PM

रविवार, १५ सप्टेंबर, २०२४

यात्रा १२०९२०२४ yq १२:३२:०२


यात्रा

काश, रास्ता पता होता
तुम तक पहुंचने का
युहीं नहीं, लेकर बैठते
अंबार ये झुर्रियों का 

वक्त सारा बितता रहा 
दूरियां अचल ठहरी
अधूरीसी यात्रा तुम्हारी 
मेरी झुर्रियों से भरी

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शुक्रवार, १६ ऑगस्ट, २०२४

मोरया रे

मोरया रे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे

अबके आये हो तुम खुशियां लेकर 
नाचने गाने का मिलाता है अवसर
भक्ति भजन मे होगें लीन तुम्हारे
हर कोई गायेगा अब गीत तुम्हारे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे ...१

मोदक लड्डू कि मांग बढेगी
ग्यारा दिनों मे बडी धूम मचेगी
बाप्पा अकेले हो तुम ही दुलारे
त्यौहार तुम्हारा हम मनाएंगे सारे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे ...२

भक्तों के त्राता, बुध्दि देता तुम
दुखों के हरता, सुख दाता तुम
खुशियों से, यह जीवन भरना रे
कृपा हमपर, इतनी सी करना रे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे ...३

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बुधवार, १४ ऑगस्ट, २०२४

सवाल १४०८२०२४ १६:००:१०


















सवाल

मेरे भारतीय डॉक्टर्स
शिकार कहीं शिकारी हो रहें हैं!

भगवान का दुसरा रुप
कैसे हैवानियत पर उतर रहें हैं!

कलकत्ता चाहें कटक
नियत,नियती किसकी खराब हैं?

घटनाएं दोनो शर्मनाक
क्यों हुआ इसका क्या जबाब हैं?

14-08-2024 TQ 04:00:10 PM
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रविवार, ५ मे, २०२४

सौदा



























सौदा

नींद का सौदा किया मैंने आखों से
आना नहीं दबे पांव उसने धोखे से

बादल ये लेकर स्याही नीली काली
जमातें है डेरा नजाकत भरें मौके से

घिर आते ही, सितारे चूपचाप कभी
महसूस होता है, स्पर्श कई हाथों से

भूल जाता हूँ पता नहीं कैसे खुदको
उड जाती हैं, नींद भी मेरी आखों से

शांत निरव शित समय कट जाता है
कहते सुनते सुख दुखों कि बातों से

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