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सोमवार, २५ नोव्हेंबर, २०२४

मुक्त कविता २५११२०२४ yq १२:५५:१७


















मुक्त कविता

मुक्त छंद कविता
मन में दबी भावूकता
पता नहीं उसे, 
कब है उसे बहना...

निकलती है, 
अनगिनत सवाल लेकर
और थम जाती है
उस मोड पर उदासी के...
अछूते किनारे पर

देखती है, दर्पण में...
अपने आप को
खुद जो मग्न है
धूंधलाहट मे...

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

मंगळवार, १२ नोव्हेंबर, २०२४

सब ठीक है

























सब ठीक है

चिंता की कोई बात नहीं, सब ठीक है
ज़िन्दगी गुजर रही हैं बस् सब ठीक है

तरक्की की होड में, मगन है चंद लोग
बढती हैं मात्र बेरोजगारी, सब ठीक है

राजनीति चरम पर आजकल, देशभर
जिंदा हैं आम महंगाई मे, सब ठीक है

मश्गूल हरकोई अपने ही कुनबे में यहां
बट रहा है सिर्फ देश, और सब ठीक है

कौन देगा शिक्षा? कौन पढेगा किससे?
ग्यान दाता सोशल मीडिया,सब ठीक है

https://marathikavita.co.in/index.php?topic=47021.new#new

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

बुधवार, २५ सप्टेंबर, २०२४

प्रित रीत २५०९२०२४ yq ०८:२९:०७























प्रित रीत

प्रित की रीति, कभी न सिखाओं किसीको 
जानता है हरकोई खुद भलिभांति उसीको 

रोग कहें कोई इसे, कोई कहें लत प्यार की
भाव सच्चा वो खुद जानें दुसरा पता रबको 

होतेही अहसास, दो दिलों को धडकनों का 
अच्छा बुरा इसका, कौन समझाएं किसको 

खेल ये कुदरत का, मानो रचा रचाया सारा 
क्यों करें दखलंदाजी क्या हक है किसीको 

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

सोमवार, १६ सप्टेंबर, २०२४

भविष्य १६०९२९२४ yq १७:३४:०५























भविष्य

भविष्य का एक पन्ना
चंद लोग लिखतें है
भविष्य का अनुमान
बहोत लोग लगाते है

बहुत बातें फिर भी
अनजानी रहती है
मेहनतकश लोग तो
रोज जीवन जीते हैं

16-09-2024 YQ 05:34:05 PM

रविवार, १५ सप्टेंबर, २०२४

यात्रा १२०९२०२४ yq १२:३२:०२



























यात्रा

काश, रास्ता पता होता
तुम तक पहुंचने का
युहीं नहीं, लेकर बैठते
अंबार ये झुर्रियों का 

वक्त सारा बितता रहा 
दूरियां अचल ठहरी
अधूरीसी यात्रा तुम्हारी 
मेरी झुर्रियों से भरी

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९


शुक्रवार, १६ ऑगस्ट, २०२४

मोरया रे

मोरया रे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे

अबके आये हो तुम खुशियां लेकर 
नाचने गाने का मिलाता है अवसर
भक्ति भजन मे होगें लीन तुम्हारे
हर कोई गायेगा अब गीत तुम्हारे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे ...१

मोदक लड्डू कि मांग बढेगी
ग्यारा दिनों मे बडी धूम मचेगी
बाप्पा अकेले हो तुम ही दुलारे
त्यौहार तुम्हारा हम मनाएंगे सारे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे ...२

भक्तों के त्राता, बुध्दि देता तुम
दुखों के हरता, सुख दाता तुम
खुशियों से, यह जीवन भरना रे
कृपा हमपर, इतनी सी करना रे

हे विघ्नहर्ता, हे विघ्नकर्ता, बाप्पा मोरया रे
हे लंबोदरा, हे करुणागारा बाप्पा मोरया रे ...३

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बुधवार, १४ ऑगस्ट, २०२४

सवाल १४०८२०२४ १६:००:१०


















सवाल

मेरे भारतीय डॉक्टर्स
शिकार कहीं शिकारी हो रहें हैं!

भगवान का दुसरा रुप
कैसे हैवानियत पर उतर रहें हैं!

कलकत्ता चाहें कटक
नियत,नियती किसकी खराब हैं?

घटनाएं दोनो शर्मनाक
क्यों हुआ इसका क्या जबाब हैं?

14-08-2024 TQ 04:00:10 PM
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रविवार, ५ मे, २०२४

सौदा



























सौदा

नींद का सौदा किया मैंने आखों से
आना नहीं दबे पांव उसने धोखे से

बादल ये लेकर स्याही नीली काली
जमातें है डेरा नजाकत भरें मौके से

घिर आते ही, सितारे चूपचाप कभी
महसूस होता है, स्पर्श कई हाथों से

भूल जाता हूँ पता नहीं कैसे खुदको
उड जाती हैं, नींद भी मेरी आखों से

शांत निरव शित समय कट जाता है
कहते सुनते सुख दुखों कि बातों से

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रविवार, ७ एप्रिल, २०२४

वादे–बातें ०७०४२०२४ yq ०८:०५:०७

























वादे–बातें

अच्छे अच्छों ने, कई भरौसे दिए
आसानी से उनको तोड़ भी दिए
हमारी अच्छाई, 
उन्हें अच्छों मे गिनते रहें...

करते है, वादे बडे, अक्सर सभी
मानो मतदाता सामने उनके कभी
अपने आप को,
शायद वो नेता समझते रहें...

मित्रों, जानो, समझो दिल टूटता है 
किसी मासूम का तुम्हें जो मानता है
क्यों, हरकतें ऐसी,
बेकार में बारबार करतें रहें...

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रविवार, ७ जानेवारी, २०२४

श्रीराम अयोध्या पधारेंगे

श्रीराम अयोध्या पधारेंगे 



















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गुरुवार, २१ डिसेंबर, २०२३

तैयार हूँ २११२२०२२ YQ १०:४२:४५


























तैयार हूँ

बस् एक ख़्वाब देख रहां हूँ ज़िन्दगी 
तुझे अपने साथ देख रहां हूँ ज़िन्दगी 

गुमनामी में बिता वक्त कुछ थोडासा 
अब तेरा इंतजार कर रहां हूँ ज़िन्दगी 

ऐसा मुहं फेर लिया, तुने लहरों जैसा 
मै, पानी में, तुझे देख रहां हूँ ज़िन्दगी 

रूठ जाना मुझसे, पर ख़फा न होना 
तेरे ही भरोसे, मै चल रहां हूँ ज़िन्दगी 

लेती है इम्तिहान कभी कभी, पता है 
चल एकबार तैयार हो रहां हूँ ज़िन्दगी 

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गुरुवार, ७ डिसेंबर, २०२३

साथ साथ ०६१२२०२३ YQ २१:२५:१५



























साथ साथ 

ये कैसी बेमौसम बरसात
कर देती है खराब हालात

फिर भी एक होय कमाल
एकसाथ बढा देती जज्बात

चलतें है कई मन मर्जी से
लेकर अपने हाथों में हाथ

अलग तरीके अपने अपने
कोई स्कूटर पर साथ साथ

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शनिवार, २ डिसेंबर, २०२३

ये खामोशी


























ये खामोशी

ये खामोशी बहोत कुछ याद दिलाती है
कभी कभी, हमें आगोश में भर लेती है

सर्द हवाओं में, टिमटिमाते सितारों संग
फिरसे एकएक लम्हों को दोहरा देती है

अकेला मन पाकर अक्सर ये खामोशी
अतीत में ढकेलने का, प्रयास करती है

मानो या न मानों, राज़ कई गहरें तुम्हारे
खामोशी से अपने साथ लेकर चलती है

जैसी भी हो भविष्य कि राह बताने का
एक नेक काम, ये खामोशी से करती है

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गुरुवार, ३० नोव्हेंबर, २०२३

उदास रात


























उदास रात

रात एक उदास कविता है, गर जानते हो
समेटती है दर्द दिनभर के गर समझते हो

कई खुशियाँ लुटाती है वो एक दूसरों पर
किया होगा एहसास कभी, गर मानते हो

है उसे भी उम्र, हयात, तुम्हारे हमारे जैसी
सुनाई देता कहराना गौर से, गर सुनते हो

भरती होगी सिसकियाँ वोभी बंद जुबाँ से
पडेगी कनोंपर आंहें उसकी,गर चाहते हो

महसूस होगी तुम्हें बदलती धडकनें सारी
साधकर चुप्पी साथ उसके,गर जागते हो

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शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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शनिवार, ९ सप्टेंबर, २०२३

दिल की बात

























बात थोडीसी क्या मै तुमसे करता हूँ
दिलों दिमाग से खिल खिल उठता हूँ

खो गई थी जो मुझ से कभी एकबार
लगता है ज़िन्दगी से आज मिलता हूँ

सोचकर भी जब इक मुलाकात न हुई
सपनों में चुपके से तुम्हें रोज देखता हूँ

जानकर अंजान रहना आदत कैसी?
लगता है बेवजह टूटे तारोंको छेडता हूँ

सच मानो या गलत? तुम्हारी है मर्जी
मै तो बस् अपने दिल की बात करता हूँ

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©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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