गुरुवार, २ जानेवारी, २०२५

गज़ल

गज़ल

हक़ीक़त तो उसको पता है हमारी
पहले से  ज़िंदगी लापता है हमारी

जो कुछ हुआ किस्मत का खेल था
फिर भी क्यों समझे ख़ता है हमारी

इश्क पर जोर चलता नहीं कहें कोई
है इश्क जोरदार ऐसी मता है हमारी

थे कहाँ माहिर हम कौनसी बातों में
ये उस्तादों से हासिल कता है हमारी

क्या लाएं साथ हुनर कुछ पता नहीं
पुर्खों से मिली, खरी 'अता है हमारी

आधी पूरी समझे या कुछ टूटी फूटी
पर दिलसे कहीं हुई ये बता है हमारी

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©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९ 

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