काग़ज़
लिखा हुआ होकर भी
कभीकभी चुप्पी साधे होता है
कोरा रहते हुए भी कभी
बहोत सारी बातें बयां करता है
दुमडा हुआ रहता ठिक
मसला हुआ बडा दर्द सहताहै
जन्म के साथ, मृत्यु के बाद
हर काग़ज़ अहमियत रखता है
उम्र के हर एक पडाव पर
काग़ज़, बहोत कुछ कहता है
©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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