मतला शेर
ये दुनिया किसी की सगी तो नहीं है
बेवजह तारीफ कहीं ठगी तो नहीं है
पहचान से सिर्फ करीब वो इतने आयें
और पता चला हमारी सखी तो नहीं है
चोंटें लगती है अक्सर कडवी बातों से
फिर पुछते है दिल को लगी तो नहीं है
अचरज है खैरात देता लालची देखना
असल में इतना बडा त्यागी तो नहीं है
©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

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