मंगळवार, २१ ऑक्टोबर, २०२५

लत २११०२०२५ yq १२:१४:५०

लत

मोबाइल की लत, ऐसी बनी है हालत
के हरएक झुककर उसमें होता हैं रत

महलों में रहें चाहे कोई गलीयों में रहें
बिगडाई उसने तो यहां सबकी आदत

भरपूर डेटा मिले, सारा कामकाज चलें
अकेले पडें, कौन बेकार किससे बोलें

अपनेआपमें सारी खुशियां बटोरते रहें
बैठते हैं, खुदके मुह को लगाकर तालें

©शिवाजी सांगळे 🦋 papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

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