ईमान
छत ने, पहलेही सांस लेना छोड़ दिया
ईंटें भी अब मिट्टी में तब्दील होने लगी
और हम...जुड़े रहे धरती से
जिस पर कभी जन्म लिया था...
शायद पागलपन होगा..
आसपड़ोस भले बदलता रहा
नयी नयी इमारतें बनती रहें,
हमें क्या? हम यहीं कायम है
साल लिए एक समाधान
मन में...
जीवित है ईमान कायम
मिट्टी से... जुड़े रहने का।
06-01-2025 YQ 02:27:15 PM
©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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