क्या करोगे
ऩजर से नज़र को चुराकर क्या करोगे
युहीं हमसे दूरीया बढाकर क्या करोगे
मिले बडी मुद्दत के बाद हम इसतरहा
चेहरा ख़ूबसुरत, छुपाकर क्या करोगे
एक एक लकीर बनी है इन हाथों पर
नाम की तुम्हारे, मिटाकर क्या करोगे
वक्त वक्त की बात, कैसे इकरार होगा
खुले हुये राज़ का इज़हार क्या करोगे
बस् छोड़ दो अब, सारी फ़िजूल बातें
बेवजह मे चुप्पी साधकर क्या करोगे
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©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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