सोमवार, ५ मे, २०२५

डरा सा दिल ०५०५२०२५ yq १५:२४:०५

डरा सा दिल 

आजकल डरा डरा सा दिल रहता है
किसीसे बहुत कुछ कहना चाहता है

किस कारण सुननेवाला अभी अभी
पता नहीं कैसी नाराजगी दिखाता है

एकही धागे के बंधन में हम रहते हुए
रूखा रूखासा वह बरताव करता है

सोचो,कभी उतरें हम जीद पर अपनी
ना कहना फिर, हमें भी बुरा लगता है

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

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