सोमवार, १३ ऑगस्ट, २०१८

कौन जानता हैं?



कैसे सुबह हुई जीवन की 
भला यहाँ कौन जानता हैं?
चलना भर हाथ में अपने
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

कैसे रहें, गुजरबसर कहाँ
जीएं कैसे, कौन जानता हैं?
चाहत भले हो तुम्हें कोनसी
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

जीवन सफर ये हमारा
न जाने यहाँ कौन जानता हैं?
चलना है हमें, रास्ते पर
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

© शिवाजी सांगळे 🎭
संपर्क:९५४५९७६५८९
http://marathikavita.co.in/hindi-kavita/t31163/new/#new

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा