खता
एक लड़ाई ख़ुद की ख़ातिर, लडने चलें
भीड़ भरे इस जहाँमें ख़ुद को ढूंढने चलें
डूबता है अक्सर,जिस्म ये गहरे पानी में
बेझिझक आज हम दिलको डूबाने चलें
फैली है नफरत,चारों ओर गौर से देखो
खता जरा सी, मोहब्बत में भिगोने चलें
नादान, ना-समझ दिल यह एक बेचारा
देखकर उसे,ख़ुदगर्ज़ उससे खेलने चलें
©शिवाजी सांगळे 🦋 papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९


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