मंगळवार, १७ एप्रिल, २०१८

जिंदगी



जिंदगी

रो रो कर जिंदगी बिताता है कोई 
लुटकर हूकूमत को जीता है कोई 

मनमें लिए रोज सवाल एक मौत का 
मिलने उसे किसान चाहता है कोई 

भुलके अपनी बदहालसी ये जिंदगी 
जिदसे फिर भी यहा दौडता है कोई 

परास्त होकर कभी इस दौड धूप में 
राज कई जीत के जानता है कोई 

शिकायत नहीं कोई जमाने से हमें 
तकदीर के हाल पर हसता है कोई

© शिवाजी सांगळे 🎭
संपर्क:९५४५९७६५८९
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