रविवार, ७ जुलै, २०१९

गवाह



लिख के मिटा दिया ऐसा गजब किया
बेजुबान कागज को गवाह बना दिया

होगा फैसला कैसा इस तरहा चुप्पी से
बोलती इस जुबां को ताला लगा लिया

मंजूर है यादों को भुला सकते हो तुम
लिखें थे जज्बात उन्हें भी मिटा दिया

होश था अपना जबतक पी रख्खी थी  
बेहोश हुये जब तुम्हारा खयाल आया

~शिव ०७०७२०१९

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा