बातें
रात दिन अजीब से खयाल मंडराते है
कैसे हो बसर सवालों में उलझाते है
ज़िन्दगी में अगर तु नहीं तो कुछ नहीं
यह तो सिर्फ कहने की ही बातें है
गैर है, ख्वाहिश रखना तुम्हारी जनाब
तेरे सिवा जीवन में और भी बातें है
पतझड़, सावन सिर्फ बसंत ऋतु नहीं
और भी मौसम बहार जैसे आतें है
होकर बेहाल इतराना नहीं खुशियों में
बदलाव दिनमें धूप छांव से आतें है
नाराज न होना कभी दु:खों पर अपने
असर उनके भी 'शिव' ढलने लगतें है
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©शिवाजी सांगळे 🦋
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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