बदलाव
मिज़ाज मौसम का कुछ बदल रहा है
बगैर मौसम के भी पानी बरस रहा है
हरवक्त शहरों में चमकदमक रहती हैं
रात दिन यहांपर लाईटें जो जलती हैं
देखकर रात भर चकाचौंध शहरों की
बेवजह काँव-काँव होती है कौवों की
अजीबसा खौफ पुनः हवा में छाया है
हरकोई करोना कि निगाह में आया है
भीड़ बढ गई, पर इंन्सान गुम हो गया
दौडते यंत्र का मात्र एक पुर्ज़ा हो गया
इंन्सान बदला ? या बदल गई प्रकृति
सोचकरभी दिमागमें बात नहीं आती
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©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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