शनिवार, २ डिसेंबर, २०२३

ये खामोशी


























ये खामोशी

ये खामोशी बहोत कुछ याद दिलाती है
कभी कभी, हमें आगोश में भर लेती है

सर्द हवाओं में, टिमटिमाते सितारों संग
फिरसे एकएक लम्हों को दोहरा देती है

अकेला मन पाकर अक्सर ये खामोशी
अतीत में ढकेलने का, प्रयास करती है

मानो या न मानों, राज़ कई गहरें तुम्हारे
खामोशी से अपने साथ लेकर चलती है

जैसी भी हो भविष्य कि राह बताने का
एक नेक काम, ये खामोशी से करती है

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©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

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