बात थोडीसी क्या मै तुमसे करता हूँ
दिलों दिमाग से खिल खिल उठता हूँ
खो गई थी जो मुझ से कभी एकबार
लगता है ज़िन्दगी से आज मिलता हूँ
सोचकर भी जब इक मुलाकात न हुई
सपनों में चुपके से तुम्हें रोज देखता हूँ
जानकर अंजान रहना आदत कैसी?
लगता है बेवजह टूटे तारोंको छेडता हूँ
सच मानो या गलत? तुम्हारी है मर्जी
मै तो बस् अपने दिल की बात करता हूँ
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©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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