मोहब्बत
अब कमी नहीं खलती आदत सी हो गई हैं
प्यार व्यार,दोस्ती अब दहशत सी हो गई हैं
जब से संभाला खुद को,होकर जुदा तुमसे
ज़िन्दगी को अब बडी फुरसत सी हो गई हैं
यारी जबसे गहरी हुयी सोचकर किताबों से
जानने ईन्सानों को सहुलियत सी हो गई हैं
दिखाई हर राह ने नयी मंजिल चलते चलते
माना उम्र के मोड पर खिदमत सी हो गई हैं
बोझ नहीं लगता इस विराने मे अकेले होते
शायद अकेलेपन से, मोहब्बत सी हो गई हैं
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©शिवाजी सांगळे 🦋 papillon
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