शनिवार, २३ मे, २०२०

नाती


६९२ |२२०५२०२०

बादल

समेट लूंगा छांव मे अपनी
बादल सा घिर आऊंगा
बिछाके शितल चादर एक
बौछार बूंदों कि करूंगा
२३१|२२०५२०२०