पहेली
युं तो कट रही है जिंदगी
यादोके सहारे, रफ्तार पर धीमी है,
चल रहा हुं, साथ तेरे जिंदगी
थाम हात मेरा, बिछडनेका डर है !
जख्म लाख सहें है जमानेके
फिरभी सजाये, मानो के तोहफे है,
वैसे तो दिल सभी को लगाते
अब प्यार तो सिर्फ गमोंसे होता है !
कैसे करे यकीन, अब जिन्दगी ?
पहेली अभी तक तो तू बनी है,
नहीं हमें, अपने ही नहीं, पर
अपनों के मौतका गम सताता है !
© शिवजी सांगळे 🎭
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