रविवार, २२ मे, २०१६

पहेली



पहेली

युं तो कट रही है जिंदगी
यादोके सहारे, रफ्तार पर धीमी है,
चल रहा हुं, साथ तेरे जिंदगी
थाम हात मेरा, बिछडनेका डर है !

जख्म लाख सहें है जमानेके
फिरभी सजाये, मानो के तोहफे है,
वैसे तो दिल सभी को लगाते
अब प्यार तो सिर्फ गमोंसे होता है !

कैसे करे यकीन, अब जिन्दगी ?
पहेली अभी तक तो तू बनी है,
नहीं हमें, अपने ही नहीं, पर
अपनों के मौतका गम सताता है !

© शिवजी सांगळे 🎭

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा