शुक्रवार, २० मे, २०१६

कागज के फुल


कागज के फुल

धुंद में लिपटी
सुबह की ओंस मे
कुछ कलियों को
सिसकते हुए सुना था !

गुजरते हुए कभी
बदनाम गलीयों से
कागजके फुलों को
महकते हुए पाया था !

© शिवाजी सांगळे 🎭

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