शुक्रवार, २३ डिसेंबर, २०१६

कुर्सी


कुर्सी

कुर्सी... सत्ता की
कुर्सी... अधिकार की
कुर्सी... जेष्ठता की
कर्सी... देवों की
कुर्सी... अध्यात्म की
कर्सी... भक्तों की
कुर्सी... रक्षण की
कुर्सी... आरक्षण की
अब यह न सोचो... कि
सत्ता की कुर्सी या
अन्य कुर्सी के बारे में,
कुछ कहने वाला हूँ?
जी हाँ, ओर एक कुर्सी है,
हमारे बुजुर्गों की...
सोचा है किसी ने?
बैठना चाहेंगे हम कभी
इस कुर्सी में?

© शिवाजी सांगळे 🎭
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