शनिवार, १८ ऑगस्ट, २०१८

दाद


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ध्यास

ध्यास 

वेळ तर पळत राही
वेदना छळत राही

जोडण्या बंध जाता
नातलग गळत राही

भोगता  दु:ख थोडे
आत तो जळत राही

बांधता एक वाडा
दगड तो ढळत राही

जीव ज्या ध्यास लावी
गोष्ट ती मिळत राही

© शिवाजी सांगळे 🎭
संपर्क:९५४५९७६५८९  
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(मात्रा ५+७=१२)

पुरानी ऐनक


२४/१७०८२०१८

सोमवार, १३ ऑगस्ट, २०१८

कौन जानता हैं?



कैसे सुबह हुई जीवन की 
भला यहाँ कौन जानता हैं?
चलना भर हाथ में अपने
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

कैसे रहें, गुजरबसर कहाँ
जीएं कैसे, कौन जानता हैं?
चाहत भले हो तुम्हें कोनसी
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

जीवन सफर ये हमारा
न जाने यहाँ कौन जानता हैं?
चलना है हमें, रास्ते पर
गंतव्य स्थान कौन जानता हैं?

© शिवाजी सांगळे 🎭
संपर्क:९५४५९७६५८९
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गुन्हा


४९७/१३०८२०१८